Ashok H Choudhury Instagram – एक आदमी एक रात एक झोपड़े में बैठ कर, छोटे से दीये को जला कर कोई शास्त्र पढ़ता रहा था। फिर आधी रात गए थक गया, फूंक मार कर दीया बुझा दिया। और तब बड़ा हैरान हो गया! जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर ही खड़ा रहा, भीतर न आया। जब दीया बुझ गया, उसकी धीमी सी टिमटिमाती लौ खो गई, तो चांद की किरणें भीतर भर आईं। द्वार-द्वार, खिड़की-खिड़की, रंध्र-रंध्र से चांद भीतर नाचने लगा। वह आदमी बहुत हैरान हो गया! उसने कहा कि एक छोटा सा दीया, इतने बड़े चांद को बाहर रोके रहा?
हम भी बहुत छोटे-छोटे दीये जलाए हैं अपने अहंकार के, मैं के, उनकी वजह से परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है। समाधि का अर्थ है: फूंको और बुझा दो इस दीये को, हो जाने दो अंधेरा। मिटा दो यह ज्योति जिसे समझा है मैं, और तत्काल चारों तरफ से वह आ जाता है, सब तरफ से आ जाता है, जो हमारे इस छोटे से अहंकार ने, मैं ने रोक रखा है।#waahzindagi | Posted on 06/Jun/2020 11:28:43
Home Actor Ashok H Choudhury HD Instagram Photos and Wallpapers June 2020 Ashok H Choudhury Instagram - एक आदमी एक रात एक झोपड़े में बैठ कर, छोटे से दीये को जला कर कोई शास्त्र पढ़ता रहा था। फिर आधी रात गए थक गया, फूंक मार कर दीया बुझा दिया। और तब बड़ा हैरान हो गया! जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर ही खड़ा रहा, भीतर न आया। जब दीया बुझ गया, उसकी धीमी सी टिमटिमाती लौ खो गई, तो चांद की किरणें भीतर भर आईं। द्वार-द्वार, खिड़की-खिड़की, रंध्र-रंध्र से चांद भीतर नाचने लगा। वह आदमी बहुत हैरान हो गया! उसने कहा कि एक छोटा सा दीया, इतने बड़े चांद को बाहर रोके रहा?
हम भी बहुत छोटे-छोटे दीये जलाए हैं अपने अहंकार के, मैं के, उनकी वजह से परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है। समाधि का अर्थ है: फूंको और बुझा दो इस दीये को, हो जाने दो अंधेरा। मिटा दो यह ज्योति जिसे समझा है मैं, और तत्काल चारों तरफ से वह आ जाता है, सब तरफ से आ जाता है, जो हमारे इस छोटे से अहंकार ने, मैं ने रोक रखा है।#waahzindagi
Ashok H Choudhury Instagram – एक आदमी एक रात एक झोपड़े में बैठ कर, छोटे से दीये को जला कर कोई शास्त्र पढ़ता रहा था। फिर आधी रात गए थक गया, फूंक मार कर दीया बुझा दिया। और तब बड़ा हैरान हो गया! जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर ही खड़ा रहा, भीतर न आया। जब दीया बुझ गया, उसकी धीमी सी टिमटिमाती लौ खो गई, तो चांद की किरणें भीतर भर आईं। द्वार-द्वार, खिड़की-खिड़की, रंध्र-रंध्र से चांद भीतर नाचने लगा। वह आदमी बहुत हैरान हो गया! उसने कहा कि एक छोटा सा दीया, इतने बड़े चांद को बाहर रोके रहा? हम भी बहुत छोटे-छोटे दीये जलाए हैं अपने अहंकार के, मैं के, उनकी वजह से परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है। समाधि का अर्थ है: फूंको और बुझा दो इस दीये को, हो जाने दो अंधेरा। मिटा दो यह ज्योति जिसे समझा है मैं, और तत्काल चारों तरफ से वह आ जाता है, सब तरफ से आ जाता है, जो हमारे इस छोटे से अहंकार ने, मैं ने रोक रखा है।#waahzindagi

Check out the latest gallery of Ashok H Choudhury



